गर्भावस्था एक महिला के जीवन का एक असाधारण चरण है, जिसके साथ अपार खुशी और जिम्मेदारी भी आती है। माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसमें प्रसवपूर्व परीक्षणों की एक श्रृंखला शामिल है। इनमें डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) भी शामिल है, जो प्रसवपूर्व जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यताओं के जोखिम का मूल्यांकन करने में मदद करता है। यह लेख परीक्षण के विवरण, इसके महत्व, प्रक्रिया और परिणामों की व्याख्या पर प्रकाश डालता है।
डबल मार्कर टेस्ट क्या है? (What Is the Double Marker Test?)
डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में, (Double Marker Test in Pregnancy) जिसे फर्स्ट ट्राइमेस्टर स्क्रीनिंग (एफटीएस) के रूप में भी जाना जाता है, एक रक्त परीक्षण है जो आमतौर पर गर्भावस्था के पहले तिमाही के दौरान 11 से 14 सप्ताह के बीच किया जाता है। यह मां के रक्त में दो विशिष्ट मार्करों के स्तर का आकलन करता है:
- फ्री बीटा-ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (फ्री बीटा-एचसीजी): गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा द्वारा निर्मित एक हार्मोन। इस हार्मोन का असामान्य रूप से उच्च या निम्न स्तर क्रोमोसोमल असामान्यताओं का संकेत दे सकता है।
- गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन ए (पीएपीपी-ए): प्लेसेंटा द्वारा निर्मित एक प्रोटीन। असामान्य स्तर अक्सर डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) या एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18) जैसे क्रोमोसोमल विकारों से जुड़े होते हैं।
जब इसे न्यूकल ट्रांसलूसेंसी (एनटी) स्कैन नामक अल्ट्रासाउंड के साथ जोड़ा जाता है, तो डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यताओं के लिए जोखिम मूल्यांकन प्रदान करता है।
डबल मार्कर टेस्ट का उद्देश्य (Purpose of the Double Marker Test)
परीक्षण का प्राथमिक लक्ष्य गर्भावस्था की शुरुआत में भ्रूण में गुणसूत्र संबंधी विसंगतियों की संभावना की पहचान करना है। इसमे शामिल है:
- डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21): गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि के कारण होने वाली आनुवंशिक स्थिति। इससे विकास में देरी और शारीरिक अंतर होता है।
- एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18): एक दुर्लभ स्थिति जो भ्रूण के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और अक्सर जीवन के साथ असंगत होती है।
- पटौ सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 13): एक अतिरिक्त गुणसूत्र 13 के कारण होने वाला एक और दुर्लभ विकार, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर बौद्धिक विकलांगता और शारीरिक विसंगतियाँ होती हैं।
डबल मार्कर टेस्ट किसे कराना चाहिए? (Who Should Undergo the Double Marker Test?)
परीक्षण की अनुशंसा इनके लिए की जाती है:
- 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में मातृ आयु के साथ क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा बढ़ जाता है।
- आनुवंशिक विकारों के पारिवारिक इतिहास वाली महिलाएं।
- जिन लोगों को पहले क्रोमोसोमल असामान्यताओं से प्रभावित गर्भधारण हुआ हो।
- असामान्य अल्ट्रासाउंड निष्कर्षों वाली या अन्य प्रसव पूर्व जांचों से उच्च जोखिम वाले परिणाम वाली महिलाएं।
डबल मार्कर टेस्ट की प्रक्रिया (double marker test) process
तैयारी
परीक्षण के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं है, और उपवास की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, परीक्षण आमतौर पर पहली तिमाही के दौरान निर्धारित किया जाता है।
रक्त नमूना संग्रह
माँ की बांह से थोड़ी मात्रा में रक्त निकाला जाता है। फिर नमूने का फ्री बीटा-एचसीजी और पीएपीपी-ए के स्तर के लिए विश्लेषण किया जाता है।
न्यूकल ट्रांसलूसेंसी (एनटी) स्कैन
रक्त परीक्षण को आमतौर पर एनटी स्कैन के साथ जोड़ा जाता है। यह अल्ट्रासाउंड शिशु की गर्दन के पीछे द्रव से भरी जगह को मापता है। इस क्षेत्र में बढ़ी हुई मोटाई क्रोमोसोमल विसंगतियों के उच्च जोखिम का संकेत दे सकती है।
परिणामों को समझना (Understanding the Results)
डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) के परिणाम जोखिम अनुपात के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, जैसे 1:100 या 1:10,000। यह अनुपात भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यता होने की संभावना को दर्शाता है।
- कम जोखिम: 1:10,000 जैसा परिणाम क्रोमोसोमल विकारों की कम संभावना को इंगित करता है।
- उच्च जोखिम: 1:50 जैसा परिणाम एक उच्च संभावना का सुझाव देता है, जिससे आगे के नैदानिक परीक्षण की आवश्यकता होती है।
- महत्वपूर्ण नोट: डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) डायग्नोस्टिक नहीं है। यह केवल जोखिम मूल्यांकन प्रदान करता है, और उच्च जोखिम वाला परिणाम क्रोमोसोमल असामान्यता की पुष्टि नहीं करता है।
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उच्च जोखिम वाले परिणामों के लिए अनुवर्ती परीक्षण (Follow-Up Tests for High-Risk Results)
यदि डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) उच्च जोखिम का संकेत देता है, तो अतिरिक्त नैदानिक परीक्षणों की सिफारिश की जा सकती है, जैसे:
- कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस): 10-13 सप्ताह के बीच की जाने वाली एक प्रक्रिया, जहां बच्चे के गुणसूत्रों का विश्लेषण करने के लिए प्लेसेंटल ऊतक का एक नमूना लिया जाता है।
- एमनियोसेंटेसिस: 15-20 सप्ताह के बीच आयोजित इस परीक्षण में भ्रूण के डीएनए का अध्ययन करने के लिए थोड़ी मात्रा में एमनियोटिक द्रव निकाला जाता है।
- नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी): एक रक्त परीक्षण जो क्रोमोसोमल असामान्यताओं का पता लगाने के लिए मां के रक्त में प्रसारित भ्रूण के डीएनए का विश्लेषण करता है।
डबल मार्कर टेस्ट के लाभ (Advantages of the Double Marker Test)
- प्रारंभिक जांच: यह संभावित गुणसूत्र विसंगतियों का प्रारंभिक संकेत प्रदान करता है, जिससे माता-पिता को सूचित निर्णय लेने की अनुमति मिलती है।
- गैर-आक्रामक: परीक्षण में केवल एक साधारण रक्त निकालना शामिल होता है, जिससे माँ या बच्चे को कोई खतरा नहीं होता है।
- लागत-प्रभावी: यह एनआईपीटी जैसे उन्नत आनुवंशिक परीक्षण से अधिक किफायती है।
डबल मार्कर टेस्ट की सीमाएँ (Limitations of the Double Marker Test)
- निदान नहीं: परीक्षण केवल जोखिम का आकलन करता है और कोई निश्चित निदान प्रदान नहीं करता है।
- गलत सकारात्मक/नकारात्मक: गलत परिणाम आने की बहुत कम संभावना है, जिससे अनावश्यक चिंता या चूक की स्थिति पैदा हो सकती है।
- अतिरिक्त परीक्षण की आवश्यकता है: उच्च जोखिम वाले परिणाम के लिए अक्सर निष्कर्षों की पुष्टि के लिए अतिरिक्त, अधिक आक्रामक प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।
कारक जो परीक्षण परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं (Factors That Can Affect Test Results)
कई कारक डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) की सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मातृ उम्र
- वज़न
- जातीयता
- धूम्रपान की आदतें
- एकाधिक गर्भधारण (जैसे, जुड़वाँ या तीन बच्चे)
- मधुमेह जैसी चिकित्सीय स्थितियाँ
भावनात्मक और नैतिक विचार (Emotional and Ethical Considerations)
डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) सहित प्रसव पूर्व जांच परीक्षण, माता-पिता के लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। उच्च जोखिम वाला परिणाम चिंता का कारण बन सकता है और आगे के परीक्षण या गर्भावस्था के बारे में कठिन निर्णय ले सकता है।
अपेक्षित माता-पिता के लिए परिणामों के निहितार्थ को समझने और उनके विकल्पों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से उचित परामर्श प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
लागत और पहुंच (Cost and Accessibility)
डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) की लागत स्थान और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के आधार पर भिन्न होती है। भारत में, यह आमतौर पर ₹2,500 से ₹4,500 तक होता है। हालाँकि यह शहरी केंद्रों में व्यापक रूप से उपलब्ध है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच सीमित हो सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
गर्भावस्था की शुरुआत में क्रोमोसोमल असामान्यताओं के जोखिम का आकलन करने के लिए डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी में (Double Marker Test in Pregnancy) एक अमूल्य उपकरण है। महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करने की इसकी क्षमता माता-पिता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को आगे के परीक्षण और देखभाल के बारे में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।
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